
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इस बैठक के पीछे क्या कारण था और इसके क्या सियासी मायने हैं, इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। खास बात यह है कि एक दिन पहले ही सीएम गुप्ता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की थी। इन बैक-टू-बैक बैठकों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह दिल्ली की राजनीति में किसी बड़े बदलाव की आहट है, या फिर महज एक शिष्टाचार भेंट?
क्या थी बैठक की मुख्य वजह?
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बीच दिल्ली के विभिन्न विकास कार्यों, प्रशासनिक सुधारों और केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर चर्चा हुई। बैठक में दिल्ली की यातायात व्यवस्था, जल संकट, प्रदूषण नियंत्रण, शिक्षा सुधार और अन्य बुनियादी ढांचे से जुड़े मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल थे। हालांकि, सरकार की ओर से इस बैठक को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, जिससे अटकलों का बाजार और गर्म हो गया है।
लगातार हो रही हाई-प्रोफाइल मुलाकातें, क्या है सियासी मायने?
दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के बाद रेखा गुप्ता की यह पहली बड़ी आधिकारिक मुलाकातों की श्रृंखला मानी जा रही है। पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से मुलाकात, और फिर प्रधानमंत्री से बातचीत—ये सभी घटनाक्रम किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा कर रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकातें दिल्ली की सत्ता में कुछ बड़े फैसलों की आहट हो सकती हैं। कुछ लोग इसे आगामी लोकसभा चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे दिल्ली के प्रशासनिक सुधारों से जुड़ा बता रहे हैं।
विपक्ष ने उठाए सवाल, सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज
विपक्षी दलों ने इन बैठकों पर सवाल उठाते हुए इसे केवल एक राजनीतिक स्टंट करार दिया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि दिल्ली में पहले से ही कई मुद्दे लंबित हैं, लेकिन सरकार अब तक कोई ठोस कदम उठाने में विफल रही है। एक नेता ने तंज कसते हुए कहा,
“अगर दिल्ली सरकार सच में जनता की भलाई के लिए काम कर रही होती, तो आज दिल्ली के हालात कुछ और होते। यह सिर्फ दिखावे की राजनीति है।”
हालांकि, सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का कहना है कि सरकार जनता की भलाई के लिए लगातार काम कर रही है और प्रधानमंत्री के साथ बैठक दिल्ली के विकास को नई गति देने के लिए की गई है।
क्या दिल्ली की सत्ता में बदलाव के संकेत?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन बैठकों के पीछे कोई न कोई ठोस वजह जरूर है। क्या मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता किसी नए राजनीतिक समीकरण पर काम कर रही हैं? क्या केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच संबंधों में कोई बड़ा बदलाव आने वाला है? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ हो सकते हैं।
दिल्ली की सत्ता में यदि कोई बड़ा फेरबदल होता है, तो इसका असर न सिर्फ दिल्ली, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा। फिलहाल, सभी की नजरें सीएम गुप्ता के अगले कदम पर टिकी हैं।
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