
बिहार की राजनीति में एक बार फिर चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन का चेहरा बनाकर चुनावी नैया पार लगाने की तैयारी की जा रही है। इस बार महागठबंधन ने खास मास्टर प्लान तैयार किया है, जिसमें जातीय समीकरण, मजबूत चुनाव प्रचार, सरकार की नीतियों पर हमले और डिजिटल कैंपेन जैसी रणनीतियां शामिल हैं।
महागठबंधन का चुनावी रोडमैप
महागठबंधन के घटक दलों – राजद, कांग्रेस, वाम दल और अन्य छोटे दलों ने चुनावी रणनीति पर मंथन किया है। सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन इस बार जमीनी स्तर से लेकर सोशल मीडिया तक, हर मोर्चे पर आक्रामक प्रचार करने की योजना बना रहा है। गांव-गांव में जनसंपर्क अभियान चलाने के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी पूरा उपयोग किया जाएगा।
तेजस्वी की युवा ब्रिगेड तैयार
इस बार तेजस्वी यादव का फोकस युवा वोटर्स पर होगा। बिहार में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा हैं, जो रोजगार की तलाश में बाहर जाने को मजबूर हैं। ऐसे में महागठबंधन इस मुद्दे को भुनाने की तैयारी कर रहा है। तेजस्वी यादव पहले भी ‘10 लाख सरकारी नौकरियों’ का वादा कर चुके हैं और इस चुनाव में वह इसे दोबारा अपने एजेंडे का केंद्र बनाएंगे।
जातीय गणित को साधने की कोशिश
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। महागठबंधन का कोर वोट बैंक यादव और मुस्लिम समुदाय पहले से ही मजबूत है, लेकिन इस बार महागठबंधन का ध्यान अतिपिछड़ा, दलित और महादलित वोटरों पर ज्यादा रहेगा। इसके लिए क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावशाली नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है, ताकि समाज के हर तबके में पकड़ बनाई जा सके।
सरकार की नीतियों पर बड़ा हमला
महागठबंधन की रणनीति में सरकार की नीतियों को आक्रामक तरीके से घेरना शामिल है। तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे। विशेष रूप से, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की खामियां उजागर करने की योजना बनाई गई है।
महिलाओं पर खास फोकस
इस चुनाव में महिलाओं को लुभाने के लिए भी महागठबंधन ने खास रणनीति बनाई है। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की कमियों को उजागर कर महिलाओं को अपने पक्ष में करने की योजना तैयार की गई है। महिला सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर विशेष अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है।
चुनाव जीतने का नया फॉर्मूला
इस बार महागठबंधन चुनावी मैदान में किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहता। बड़े पैमाने पर जनसभाएं, छोटी-छोटी बैठकें, सोशल मीडिया कैंपेन और नए वोटरों तक पहुंच बनाने की योजना बनाई जा रही है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि सही तरीके से प्रचार अभियान को अंजाम दिया गया, तो बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है।
क्या महागठबंधन की नैया पार होगी
अब सवाल यह है कि तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन अपने इस मास्टर प्लान को कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर पाता है। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और बीजेपी के साथ सीधा मुकाबला आसान नहीं होगा। भाजपा और जदयू के पास भी मजबूत संगठन और रणनीतिकार हैं, जो हर चुनाव में माहौल को अपने पक्ष में करने में माहिर माने जाते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी का यह सियासी दांव महागठबंधन की नैया पार लगा पाता है या नहीं।
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