
बिहार में वित्तीय प्रबंधन को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए सवाल किया कि जब कर्मचारियों के वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, तो समृद्धि और विकास के दावे किस आधार पर किए जा रहे हैं? उन्होंने हाल ही में पेश किए गए बजट पर भी सवाल उठाते हुए सरकार की नीतियों पर निशाना साधा।
तेजस्वी यादव ने कहा, “एक तरफ सरकार कर्मचारियों का वेतन देने में असमर्थ है, दूसरी तरफ विकास और समृद्धि का डंका पीटा जा रहा है। बजट बढ़ाने से क्या फायदा, जब जनता और सरकारी कर्मियों को इसका लाभ ही नहीं मिल रहा?“ उन्होंने सरकार से मांग की कि वह स्पष्ट करे कि बजट का पैसा आखिर जा कहां रहा है और इसका सही उपयोग क्यों नहीं हो रहा?
सरकारी कर्मियों का वेतन संकट
बिहार में हाल ही में कई सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने वेतन न मिलने की शिकायत की थी। कई शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन समय पर नहीं आ पा रहा है, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। इस मुद्दे को उठाते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार को पहले बुनियादी जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए, फिर समृद्धि के दावे करने चाहिए।
वहीं, सरकार की ओर से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया कि बजट का सही इस्तेमाल हो रहा है और कुछ विभागों में वित्तीय अस्थिरता की समस्याओं को जल्द ही हल कर लिया जाएगा। एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, “राज्य सरकार पूरी तरह सक्षम है और वित्तीय प्रबंधन को सही करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।“
राजनीतिक सरगर्मी तेज
तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति और गरमा गई है। विपक्ष सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, वहीं सरकार अपनी नीतियों को सही ठहराने में जुटी है। आगामी चुनाव को देखते हुए यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।
अब देखना होगा कि सरकार इस सवालों का क्या जवाब देती है और क्या बिहार के सरकारी कर्मियों को उनके वेतन को लेकर राहत मिलेगी या नहीं।
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