
पटना: बिहार की राजनीति में आरक्षण को लेकर नया घमासान छिड़ गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने NDA सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसे ‘आरक्षण चोर’ करार दिया। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार योजनाबद्ध तरीके से दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को खत्म करने की साजिश कर रही है। उनके इस बयान पर भाजपा और सहयोगी दलों ने कड़ा विरोध जताया। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और भाजपा नेता मंगल पांडेय ने पलटवार करते हुए तेजस्वी यादव पर ही सवाल दाग दिए।
तेजस्वी यादव के आरोप
राजद नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र और बिहार सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि NDA सरकार लगातार पिछड़े, दलित और आदिवासी समाज के अधिकारों को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा, “आरक्षण हमारा संवैधानिक अधिकार है, लेकिन भाजपा इसे खत्म करने की कोशिश कर रही है। कभी कोर्ट के जरिए तो कभी नई नीतियों के बहाने, यह सरकार वंचितों का हक छीनने में लगी है। NDA सरकार आरक्षण चोर है, जो धीरे-धीरे संविधान के मूल अधिकारों पर हमला कर रही है।”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां दलित और पिछड़े समाज के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का प्रतिशत कम करने की साजिश रची जा रही है। तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के आरक्षण को लागू करके सामाजिक न्याय की मूल भावना को कमजोर किया गया है।
मांझी का पलटवार: ‘आरक्षण का असली दुश्मन कौन?’
हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव को जवाब देते हुए कहा कि आरक्षण पर राजनीति करने से पहले उन्हें अपने दल का इतिहास देखना चाहिए। मांझी ने आरोप लगाया कि जब बिहार में राजद की सरकार थी, तब दलितों और पिछड़ों को उनका हक नहीं मिला था। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव सिर्फ आरक्षण का मुद्दा उछालकर राजनीति करना चाहते हैं, लेकिन जब राजद सत्ता में था, तब वंचित वर्ग के लोगों को उनका उचित हक नहीं मिला।”
मांझी ने आगे कहा कि NDA सरकार ने हमेशा दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा की है और कई योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि जब सत्ता में रहने का मौका था, तब उनके परिवार ने पिछड़े समाज के लिए क्या किया?
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भाजपा नेता मंगल पांडेय का जवाब
भाजपा नेता और पूर्व मंत्री मंगल पांडेय ने भी तेजस्वी यादव के बयान पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव बेबुनियाद आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। NDA सरकार ने आरक्षण को और मजबूत किया है और समाज के हर वर्ग को उसका हक दिलाने का काम किया है।“
मंगल पांडेय ने कहा कि भाजपा ने कभी आरक्षण खत्म करने की कोशिश नहीं की, बल्कि उसे और मजबूत किया है। उन्होंने तेजस्वी यादव से सवाल करते हुए कहा, “जब राजद की सरकार थी, तब कितने दलितों को नौकरी मिली? भ्रष्टाचार और परिवारवाद की राजनीति करने वाले लोग अब आरक्षण का मुद्दा उठा रहे हैं, जो कि जनता को गुमराह करने का प्रयास है।”
आरक्षण पर बढ़ती सियासत
आरक्षण को लेकर बिहार में लंबे समय से सियासत चल रही है। केंद्र सरकार की नई भर्ती प्रक्रिया और सरकारी नौकरियों में बदलाव को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। कांग्रेस और राजद का आरोप है कि भाजपा धीरे-धीरे आरक्षण खत्म करने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा दावा कर रही है कि उसने कभी भी आरक्षण विरोधी कदम नहीं उठाए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार की राजनीति में आरक्षण हमेशा से एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। आगामी चुनावों को देखते हुए तेजस्वी यादव इसे हवा दे रहे हैं, जबकि NDA सरकार इस पर बैकफुट पर जाने के बजाय आक्रामक जवाब दे रही है।
जातीय जनगणना और आरक्षण का गणित
तेजस्वी यादव लंबे समय से जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे हर वर्ग की सही संख्या सामने आएगी और उसके आधार पर आरक्षण नीति को और मजबूत किया जा सकेगा। हालांकि, भाजपा इस पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाती है। वहीं, NDA सरकार का कहना है कि वह सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम कर रही है और जातीय जनगणना को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
चुनावी रणनीति के संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में अगले चुनावों को देखते हुए आरक्षण का मुद्दा बड़ा रूप ले सकता है। तेजस्वी यादव इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि पिछड़ा और दलित समाज उनके पक्ष में लामबंद हो सके। वहीं, NDA सरकार खुद को सामाजिक न्याय की समर्थक दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
निष्कर्ष
आरक्षण पर बिहार की राजनीति गरमा गई है। तेजस्वी यादव के ‘आरक्षण चोर’ बयान के बाद भाजपा और सहयोगी दलों ने पलटवार कर माहौल और गरमा दिया है। NDA सरकार का दावा है कि उसने आरक्षण को और मजबूत किया है, जबकि विपक्ष इसे खत्म करने की साजिश बता रहा है। चुनावी माहौल में यह बहस और तेज हो सकती है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसके दावे पर भरोसा करती है|
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