
पटना: राजधानी पटना के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (NMCH) से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सियासी गलियारों में भी हलचल मचा दी है। अस्पताल में भर्ती एक मरीज की पांचों पैर की उंगलियां चूहों ने कुतर दीं।
मूल रूप से नालंदा निवासी अवधेश कुमार NMCH के हड्डी रोग विभाग में भर्ती थे। उनके एक पैर में प्लास्टर बंधा हुआ था। शनिवार रात उन्हें तेज बुखार था, जिससे उन्हें नींद नहीं आ रही थी। लेकिन जैसे ही वे सोए, उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं हुआ कि उनके साथ क्या होने वाला है।
सुबह जब उन्होंने आंखें खोलीं, तो देखा कि उनके पैर से खून बह रहा है और बेड पर खून के धब्बे फैले हुए हैं। अस्पताल के कर्मियों को बुलाने पर जब जांच की गई, तो सामने आया कि रात के दौरान चूहों ने उनकी सभी उंगलियां बुरी तरह कुतर दी थीं।
यह घटना न केवल भयावह है, बल्कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और बिहार की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था का एक और काला चेहरा उजागर करती है। एक ऐसा अस्पताल, जो राज्य के हजारों लोगों की स्वास्थ्य देखभाल की जिम्मेदारी उठाता है, वहां चूहों का इस कदर आतंक मरीजों की जान पर भारी पड़ रहा है।
घटना के बाद सियासत भी तेज हो गई है। राजद सांसद प्रो. मनोज झा ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा, “बिहार के चूहों में अब अद्भुत क्षमता विकसित हो गई है। ये शराब पी जाते हैं, पहाड़ खोद डालते हैं, और अब मरीजों को भी कुतरने लगे हैं। ये चूहे हैं या डायनासोर?”
मनोज झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री का जनता दरबार अब सिर्फ VIP दरबार बनकर रह गया है। आम लोगों की समस्याएं अब वहां नहीं सुनी जातीं। जिन लोगों की जान खतरे में है, उनके लिए सिस्टम मौन बैठा है।”
इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर भी हमला बोला और कहा, “अगर हमारे खिलाफ घोटाले का वीडियो चलाया गया, तो हम भी मोदी-शाह के भ्रष्टाचार की सच्चाई जनता के सामने रखेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि महागठबंधन की सरकार जब भी सत्ता में आई है, उसने पाई-पाई का हिसाब जनता को दिया है।
वहीं, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी द्वारा राजद शासन को “जंगलराज” कहे जाने पर झा ने पलटवार करते हुए कहा, “अगर हमारा शासन जंगलराज था, तो उस जंगल में छोटे शेर वही लोग थे, जो आज मंच पर बैठकर भाषण दे रहे हैं।”
यह घटना एक बार फिर बिहार के स्वास्थ्य तंत्र की खस्ताहाली पर सवाल उठाती है। एक ओर जहां सरकार बेहतर चिकित्सा व्यवस्था का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर चूहे मरीजों को अस्पताल में ही शिकार बना रहे हैं। सवाल यह है कि जब अस्पताल सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर आम आदमी का स्वास्थ्य और जीवन किसके भरोसे है?
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