
PM मोदी नहीं जाएंगे रूस की विक्ट्री डे परेड, एंटी-पाक ऑपरेशनों की निगरानी में जुटे रहेंगे
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस की प्रतिष्ठित विक्ट्री डे परेड में इस वर्ष शामिल न होने का निर्णय लिया है। यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं और भारतीय सुरक्षा बल कई संवेदनशील ऑपरेशनों में जुटे हुए हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी देश में रहकर इन ऑपरेशनों की सीधे निगरानी कर रहे हैं और सुरक्षा एजेंसियों के साथ लगातार संपर्क में हैं।
रूस हर साल 9 मई को विक्ट्री डे परेड आयोजित करता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ की विजय की याद में आयोजित होती है। यह कार्यक्रम रूस की सैन्य शक्ति का वैश्विक प्रदर्शन भी माना जाता है। परंपरागत रूप से इसमें विश्व के कई देशों के नेता शामिल होते हैं और यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक मंच होता है। भारत और रूस के लंबे समय से मैत्रीपूर्ण और सामरिक संबंध रहे हैं, और ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री का इस बार परेड में न जाना कई विश्लेषकों के लिए चौंकाने वाला कदम माना जा रहा है।
रक्षा और कूटनीति में संतुलन
प्रधानमंत्री मोदी का यह फैसला इस बात का संकेत है कि भारत इस समय अपनी आंतरिक सुरक्षा और सीमा पर हो रही गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर, पुंछ और राजौरी सेक्टरों में आतंकवादियों की घुसपैठ की कई कोशिशें देखी गई हैं। भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई में कई आतंकी मारे गए हैं, लेकिन यह घटनाएं बताती हैं कि सीमा पर स्थिति पूरी तरह शांत नहीं है।
सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी ने हाल के दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के साथ लगातार बैठकें की हैं। इन बैठकों में सीमा सुरक्षा, खुफिया सूचनाएं और एंटी-टेरर ऑपरेशनों की प्रगति पर चर्चा की गई है। पीएमO की तरफ से भी यह संकेत दिए गए हैं कि प्रधानमंत्री हर छोटे-बड़े ऑपरेशन की रिपोर्ट्स व्यक्तिगत रूप से देख रहे हैं।
रूस को दी गई जानकारी
हालांकि पीएम मोदी के इस फैसले से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं भारत-रूस संबंधों में कोई खटास तो नहीं आ रही, लेकिन विदेश मंत्रालय ने इन अटकलों को खारिज किया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत ने रूस को पहले ही औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति के बारे में सूचित कर दिया था। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि भारत और रूस के बीच सहयोग पहले की तरह ही मजबूत बना रहेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री के इस निर्णय को लेकर देश में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। बीजेपी नेताओं ने इसे एक ‘रणनीतिक और राष्ट्रहित में लिया गया कदम’ बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री का अपनी उपस्थिति देश की सीमाओं और सुरक्षा बलों के साथ होना, भारत की संप्रभुता को सर्वोच्च स्थान देने का प्रतीक है।
वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ नेताओं ने इसे प्रधानमंत्री की विदेश नीति में ‘असहज बदलाव’ करार दिया है, जबकि अन्य ने कहा है कि अगर सुरक्षा कारण वाकई इतने गंभीर हैं, तो यह चिंता का विषय है और सरकार को संसद में जानकारी देनी चाहिए।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस की विक्ट्री डे परेड में शामिल न होना निश्चित रूप से एक अहम कूटनीतिक घटनाक्रम है, लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह संकेत है कि भारत इस समय आंतरिक और सीमावर्ती सुरक्षा पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह कदम देश को यह भरोसा देता है कि नेतृत्व हर खतरे से निपटने के लिए सतर्क और प्रतिबद्ध है।
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