
पटना में सोमवार को मिड-डे मील (MDM) रसोइया बहनों ने अपनी मांगों को लेकर उग्र प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में रसोइया बहनें सड़कों पर उतरीं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना दिया। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए धरना स्थल के मेन गेट को बंद कर दिया, जिससे प्रदर्शन और भी उग्र हो गया।
क्या हैं MDM रसोइयों की प्रमुख मांगें?
मिड-डे मील योजना के तहत काम करने वाली रसोइया बहनें लंबे समय से अपने वेतन वृद्धि और स्थायी रोजगार की मांग कर रही हैं। प्रदर्शन कर रही रसोइया बहनों का कहना है कि—
सरकार उनकी अनदेखी कर रही है और वेतन बढ़ाने की मांग को टाल रही है।
स्थायी नौकरी और सामाजिक सुरक्षा देने का वादा अब तक पूरा नहीं किया गया।
काम के घंटे बढ़ा दिए गए हैं, लेकिन वेतन में कोई सुधार नहीं हुआ।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
धरना स्थल पर पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी और प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए मुख्य द्वार को बंद कर दिया। इससे प्रदर्शन और उग्र हो गया, और रसोइया बहनों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी तेज कर दी। कई प्रदर्शनकारियों ने पुलिस प्रशासन पर बलपूर्वक धरना समाप्त कराने का आरोप लगाया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखना चाहती थीं, लेकिन प्रशासन ने उनके विरोध को दबाने की कोशिश की। वहीं, पुलिस का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है और किसी भी तरह की अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकार की प्रतिक्रिया
बिहार सरकार की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, कुछ अधिकारियों का कहना है कि रसोइया बहनों की मांगों पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इस मामले पर कोई हल निकाला जाएगा। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, मिड-डे मील योजना के तहत काम करने वाले रसोइयों की वेतन संबंधी मांगों पर पहले भी चर्चा हुई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
वहीं, विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार गरीब और मेहनतकश महिलाओं की मांगों को लगातार अनसुना कर रही है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द उनकी वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाओं की मांगों को मानना चाहिए, नहीं तो विरोध प्रदर्शन और भी बड़े स्तर पर होगा।
रसोइया बहनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगी। उनका कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है और अगर सरकार जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो वे विधानसभा तक मार्च करने को मजबूर होंगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला जल्द सुलझने वाला नहीं है, क्योंकि सरकार की प्राथमिकताएं अभी कुछ और हैं। लेकिन अगर यह आंदोलन और लंबा खिंचता है, तो सरकार को बैकफुट पर आना पड़ सकता है।
पटना में इस मुद्दे को लेकर माहौल लगातार गर्म बना हुआ है, और आने वाले दिनों में यह और बड़ा रूप ले सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले को कैसे सुलझाती है और क्या रसोइया बहनों की आवाज को सुना जाएगा या नहीं।
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