
पटना: बिहार की राजनीति में इन दिनों इफ्तार पार्टियों का दौर तेज हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर रहीं। जहां एक तरफ दावत का लुत्फ उठाया गया, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक चर्चाओं का दौर भी चलता रहा। इस इफ्तार पार्टी में कई बड़े राजनीतिक दिग्गजों की मौजूदगी ने इसे सियासी मायनों में और भी अहम बना दिया।
बॉयकॉट की अटकलों पर लगा विराम
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी को लेकर पहले अटकलें थीं कि कुछ दल इसमें शामिल नहीं होंगे, लेकिन इन कयासों को दरकिनार करते हुए जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने इसमें शिरकत की। भाजपा के कई नेताओं की गैरमौजूदगी जरूर चर्चा का विषय बनी, लेकिन महागठबंधन और विपक्षी दलों की उपस्थिति ने इफ्तार को सियासी मंच में तब्दील कर दिया।
कौन-कौन हुए शामिल?
नीतीश कुमार की इस दावत में उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा, राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, वामपंथी दलों के प्रतिनिधि समेत अन्य राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं। सभी ने एक साथ बैठकर रोज़ा इफ्तार किया और राजनीतिक विषयों पर अनौपचारिक बातचीत भी की।
इफ्तार के बहाने राजनीतिक समीकरणों की बिसात
बिहार की राजनीति में इफ्तार पार्टियां सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि राजनीतिक समीकरण साधने का जरिया भी बन चुकी हैं। नीतीश कुमार की इस दावत में उनकी पार्टी जेडीयू और विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी कई राजनीतिक संकेत दे रही है। आगामी लोकसभा चुनाव और बिहार में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच यह इफ्तार पार्टी काफी अहम मानी जा रही है।
आगे क्या?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इफ्तार के बहाने नेता मुलाकातें कर रहे हैं और गठबंधन की रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इससे साफ है कि बिहार में राजनीति सिर्फ मंचों तक सीमित नहीं, बल्कि इफ्तार की दावतों में भी नई दिशा लेने लगी है। अब देखना यह होगा कि इन मुलाकातों का असर आगामी चुनावों में कैसे देखने को मिलता है।
पटना: बिहार की राजनीति में इन दिनों इफ्तार पार्टियों का दौर तेज हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर रहीं। जहां एक तरफ दावत का लुत्फ उठाया गया, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक चर्चाओं का दौर भी चलता रहा। इस इफ्तार पार्टी में कई बड़े राजनीतिक दिग्गजों की मौजूदगी ने इसे सियासी मायनों में और भी अहम बना दिया।
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी को लेकर पहले अटकलें थीं कि कुछ दल इसमें शामिल नहीं होंगे, लेकिन इन कयासों को दरकिनार करते हुए जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने इसमें शिरकत की। भाजपा के कई नेताओं की गैरमौजूदगी जरूर चर्चा का विषय बनी, लेकिन महागठबंधन और विपक्षी दलों की उपस्थिति ने इफ्तार को सियासी मंच में तब्दील कर दिया।
नीतीश कुमार की इस दावत में उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा, राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, वामपंथी दलों के प्रतिनिधि समेत अन्य राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं। सभी ने एक साथ बैठकर रोज़ा इफ्तार किया और राजनीतिक विषयों पर अनौपचारिक बातचीत भी की।
बिहार की राजनीति में इफ्तार पार्टियां सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि राजनीतिक समीकरण साधने का जरिया भी बन चुकी हैं। नीतीश कुमार की इस दावत में उनकी पार्टी जेडीयू और विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी कई राजनीतिक संकेत दे रही है। आगामी लोकसभा चुनाव और बिहार में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच यह इफ्तार पार्टी काफी अहम मानी जा रही है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इफ्तार के बहाने नेता मुलाकातें कर रहे हैं और गठबंधन की रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इससे साफ है कि बिहार में राजनीति सिर्फ मंचों तक सीमित नहीं, बल्कि इफ्तार की दावतों में भी नई दिशा लेने लगी है। अब देखना यह होगा कि इन मुलाकातों का असर आगामी चुनावों में कैसे देखने को मिलता है।
इफ्तार की सियासी सियासी! चिराग-तेजस्वी की दावत से बिहार में हलचल
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