
बिहार विधानसभा का बजट सत्र आज बेहद हंगामेदार रहा। सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जमकर बहस हुई, जिसमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता विजय सिन्हा के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बहस के दौरान डिप्टी सीएम ने भी विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए तीखा जवाब दिया। मामला इतना बढ़ गया कि सदन में शोर-शराबे के बीच कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
दरअसल, विधानसभा सत्र के दौरान विजय सिन्हा ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। इस दौरान उन्होंने धार्मिक प्रतीकों, खासकर टीका (चंदन और अन्य धार्मिक चिन्ह) को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग धार्मिक प्रतीकों को लेकर संकीर्ण मानसिकता रखते हैं और इसे राजनीतिक रूप देने की कोशिश करते हैं।
विजय सिन्हा के इस बयान पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आपत्ति जताई और भाजपा पर ‘धर्म की राजनीति’ करने का आरोप लगाया। तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी हर मुद्दे को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रही है और आम जनता से जुड़े असली मुद्दों से ध्यान भटका रही है।
डिप्टी सीएम का विपक्ष पर पलटवार
जब सदन में बहस बढ़ने लगी, तो डिप्टी सीएम ने मोर्चा संभालते हुए विपक्ष से सीधे सवाल पूछा—
“आखिर टीका से इतनी नफरत क्यों? धार्मिक पहचान और आस्था से जुड़े प्रतीकों को लेकर इतना विरोध क्यों किया जा रहा है?”
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह के मुद्दों को उछालता है, जबकि असली जरूरत जनता की भलाई के लिए काम करने की है। उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब सरकार विकास योजनाओं पर बात कर रही है, तब विपक्ष इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहा है।
तेजस्वी यादव का पलटवार
डिप्टी सीएम के इस बयान के बाद तेजस्वी यादव ने जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि बिहार सरकार की प्राथमिकताएं पूरी तरह गलत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष सिर्फ धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों को उछालकर लोगों को असल मुद्दों से भटकाना चाहता है।
तेजस्वी ने सरकार से सवाल किया—
“क्या बिहार के युवाओं को रोजगार मिल गया? क्या शिक्षा व्यवस्था सुधर गई? क्या महंगाई कम हो गई? नहीं, लेकिन सरकार इन मुद्दों पर बात करने के बजाय धर्म और आस्था पर बहस कर रही है।”
सदन में हंगामा, कार्यवाही स्थगित
तेजस्वी और विजय सिन्हा की इस बहस ने सदन में माहौल को गर्मा दिया। दोनों तरफ के नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी।
सत्ता पक्ष के नेताओं ने तेजस्वी यादव के बयानों का विरोध किया और उन्हें ‘विकास विरोधी’ बताया।
विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर धार्मिक मुद्दों को बेवजह तूल देने का आरोप लगाया।
जब स्थिति बिगड़ने लगी, तो विधानसभा अध्यक्ष को दखल देना पड़ा और हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई।
क्या है इस विवाद का राजनीतिक असर?
इस बहस के बाद बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है।
बीजेपी इसे धर्म और आस्था से जुड़ा मुद्दा बताकर जनता को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करेगी।
आरजेडी और विपक्ष इसे जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बताकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।
आगामी चुनावों को देखते हुए यह विवाद और गहरा सकता है, क्योंकि दोनों ही पक्ष इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करेंगे।
आगे क्या?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा जल्द ठंडा नहीं होगा। आरजेडी इस पर सरकार को घेरने के लिए नए-नए सवाल खड़े कर सकती है, जबकि बीजेपी इसे हिंदू आस्था से जोड़कर अपनी सियासी रणनीति को मजबूत करने की कोशिश करेगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बहस का असर बिहार की राजनीति पर कितना गहरा पड़ता है और क्या सरकार और विपक्ष किसी समाधान पर पहुंच पाते हैं या यह मुद्दा केवल चुनावी बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा।
Bihar Budget 2025: महिलाओं के विकास को मिली रफ्तार, जानें अहम पहल