
बिहार विधानसभा सत्र: शिक्षकों के ट्रांसफर और डोमिसाइल नीति पर गरमाया सियासी माहौल
बिहार विधानसभा का बजट सत्र इस बार खासा हलचल भरा रहा है। सदन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो रही है, जिसमें प्रमुख मुद्दा शिक्षकों के ट्रांसफर का रहा। वहीं, विपक्षी दलों ने डोमिसाइल नीति में संशोधन की भी मांग की है। इस सत्र के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्षी नेता तेजस्वी यादव के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।
शिक्षकों के ट्रांसफर का मुद्दा
बिहार विधानसभा में शिक्षकों के ट्रांसफर से संबंधित मुद्दा गंभीर रूप से उठाया गया। यह मुद्दा लंबे समय से उठ रहा था, लेकिन इस बार विधानसभा में इसे प्रमुखता से चर्चा के लिए रखा गया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि शिक्षक ट्रांसफर की प्रक्रिया में घोटाले और पक्षपाती निर्णय हो रहे हैं। उनका कहना था कि ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और इसे सुधारने की आवश्यकता है।
राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन कर रही है। हालांकि, विपक्षी दलों ने यह भी आरोप लगाया कि कई क्षेत्रों में शिक्षकों की भारी कमी है, जबकि कुछ स्थानों पर अधिक संख्या में शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए सरकार से इस प्रक्रिया में सुधार करने की मांग की।
RJD ने . की डोमिसाइल नीति पर मांग
राजद (RJD) ने डोमिसाइल नीति पर भी सवाल उठाए और इसे लेकर सरकार से एक मजबूत कदम उठाने की मांग की। राजद का कहना है कि राज्य के स्थानीय युवाओं के लिए नौकरी के अवसर बढ़ाने के लिए डोमिसाइल नीति में बदलाव की आवश्यकता है। पार्टी ने यह भी मांग की कि राज्य सरकार को इस नीति को लागू करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि राज्य के हर नागरिक को समान अवसर मिल सके।
राजद के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “बिहार में बाहर से आने वाले लोगों के मुकाबले स्थानीय युवाओं के लिए नौकरी के अवसर बहुत कम हैं। यह राज्य की नीतियों में गंभीर खामी है। हमें इस मामले में तुरंत सुधार करने की आवश्यकता है।” उन्होंने राज्य सरकार से यह भी अपील की कि वह डोमिसाइल नीति में संशोधन करके इसे बिहार के युवाओं के हित में बनाए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार डोमिसाइल नीति पर पुनर्विचार कर रही है, लेकिन इसे जल्द लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने पहले ही कई कदम उठाए हैं, जिनसे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सुधार की आवश्यकता है और सरकार इस पर विचार कर रही है।
विधानसभा में अन्य मुद्दों पर चर्चा
बिहार विधानसभा में आज कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इनमें से एक प्रमुख मुद्दा सामाजिक सुरक्षा पेंशन का था। सीपीआई (एम) के विधायकों ने सरकार से मांग की कि बिहार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन को केरल के मानक के अनुसार 3000 रुपये किया जाए। उनका कहना था कि बिहार के गरीब और वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर जीवन जीने के लिए यह कदम उठाया जाना चाहिए।
वहीं, कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने बिहार में जातीय सर्वेक्षण के परिणामों को आधार बनाकर आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की। उनका कहना था कि जातीय सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सरकार को आरक्षण को बढ़ाकर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए।
इसके अलावा, विपक्षी दलों ने सरकार से यह भी मांग की कि वे राज्य के सभी गरीबों को 10 किलो अनाज प्रदान करें, ताकि वे महंगाई और खाद्यान्न की कमी से जूझ न सकें। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह गरीबों की मदद के मामले में विफल हो रही है।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा का यह सत्र कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का गवाह बना। शिक्षकों के ट्रांसफर, डोमिसाइल नीति, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जातीय सर्वेक्षण, और खाद्यान्न वितरण जैसे मुद्दों ने सदन में गर्मागर्म बहस को जन्म दिया। बिहार की जनता अब उम्मीद करती है कि सरकार इन मुद्दों पर शीघ्र और प्रभावी कदम उठाएगी। वहीं, विपक्षी दल सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए उन्हें सुधार की दिशा में आगे बढ़ने की चेतावनी दे रहे हैं।
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