
पटना। बिहार सरकार ने राज्य के उच्च शिक्षा ढांचे को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के प्रत्येक प्रखंड में एक एफिलिएटेड डिग्री कॉलेज की स्थापना की जाएगी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जमीन की पहचान और चिह्नांकन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में सरकार ने कुल पाँच सौ पचहत्तर (575) नए डिग्री कॉलेजों की स्थापना का प्रावधान किया है।
प्रत्येक प्रखंड को मिलेगा उच्च शिक्षा का अवसर
इस योजना का मकसद है कि बिहार के किसी भी छात्र को उच्च शिक्षा के लिए अपने प्रखंड से बाहर न जाना पड़े। वर्तमान में राज्य के कई ऐसे प्रखंड हैं जहां अब तक कोई अंगीभूत डिग्री कॉलेज नहीं है। शिक्षा विभाग ने ऐसे सभी प्रखंडों की सूची तैयार की है और अब संबंधित जिलों के समाहर्ताओं को जमीन चिह्नित करने का निर्देश जारी किया गया है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए अलग मानक
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि डिग्री कॉलेजों की स्थापना के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 5 एकड़ और शहरी क्षेत्रों में कम से कम 2.5 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। चिह्नित भूमि का स्वामित्व यथासंभव सरकारी होना चाहिए अथवा किसी विद्यालय या शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान से संबंधित होनी चाहिए।
इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि चयनित भूमि सुगम आवागमन के साधनों से जुड़ी हो, ताकि छात्रों को आने-जाने में कोई कठिनाई न हो।
भू-आकृति और अनुपात का भी रखा जाएगा ध्यान
शिक्षा विभाग ने भूमि चयन में यह शर्त भी जोड़ी है कि भूमि की आकृति यथासंभव चौकोर होनी चाहिए और उसकी लंबाई तथा चौड़ाई का अनुपात क्रमशः 1:2 या 1:3 के आस-पास होना चाहिए। इससे भवन निर्माण की योजना बनाना और परिसंपत्तियों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करना सरल होगा।
आदेश शिक्षा विभाग के सचिव ने किया जारी
यह दिशा-निर्देश शिक्षा विभाग के सचिव अजय यादव के हस्ताक्षर से सभी जिलों के समाहर्ताओं को भेजा गया है। आदेश में कहा गया है कि जिन प्रखंडों में अभी तक कोई अंगीभूत डिग्री कॉलेज संचालित नहीं हो रहा है और न ही प्रस्तावित है, वहां प्राथमिकता के आधार पर इस योजना को लागू किया जाए।
बिहार की शिक्षा नीति को मिलेगा बल
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय बिहार के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। अब तक जिन विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए शहरों या अन्य जिलों में जाना पड़ता था, उन्हें अब अपने ही प्रखंड में डिग्री कॉलेज की सुविधा प्राप्त होगी।
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