
नई दिल्ली: भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने निर्वाचन आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाते हुए “दोहरी EPIC महाघोटाले” का मुद्दा उठाया है। TMC का दावा है कि बड़ी संख्या में डुप्लीकेट EPIC (वोटर आईडी कार्ड) जारी किए गए हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर संदेह पैदा हो रहा है। इस बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने सभी राज्यों को 31 मार्च तक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है, जिससे यह मामला और गर्मा गया है।
TMC के आरोप – क्या है EPIC महाघोटाला?
तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि कई राज्यों में एक ही व्यक्ति के नाम पर दो या अधिक EPIC (वोटर आईडी) कार्ड जारी किए गए हैं। यह न केवल चुनावी धांधली को बढ़ावा देता है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करता है। TMC नेताओं का कहना है कि यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसे गहराई से जांचने की जरूरत है।
TMC सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा,
“यदि एक ही व्यक्ति के पास दोहरी वोटर आईडी होगी, तो वह दो बार मतदान कर सकता है। यह लोकतंत्र की निष्पक्षता पर सीधा हमला है। निर्वाचन आयोग को इसकी विस्तृत जांच करानी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
CEC का कड़ा रुख – 31 मार्च तक रिपोर्ट तलब
चुनाव आयोग इस विवाद के बीच हरकत में आ गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि 31 मार्च तक EPIC की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपें। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“हमारी प्राथमिकता पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना है। यदि दोहरी EPIC आईडी से जुड़ी कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
विपक्ष का हमला – सरकार पर पक्षपात का आरोप
EPIC घोटाले को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार और चुनाव आयोग दोनों को घेर लिया है।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि यह चुनाव आयोग की “विश्वसनीयता पर एक और सवालिया निशान” है
सीपीआई(एम) के सीताराम येचुरी ने इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के तहत जांच की मांग की है।
TMC के अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि यह “सत्ता पक्ष के लिए चुनावी लाभ लेने की कोशिश” है।
चुनाव आयोग की सफाई – पारदर्शिता बनी रहेगी
निर्वाचन आयोग ने TMC के आरोपों को खारिज नहीं किया, लेकिन यह साफ किया कि इस मामले की जांच की जा रही है। आयोग ने कहा कि EPIC कार्ड जारी करने की प्रक्रिया को और मजबूत किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।
क्या होगा आगे?
अब सवाल उठता है कि क्या EPIC घोटाले की निष्पक्ष और गहन जांच होगी? यदि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और पारदर्शी जांच करवाता है, तो यह चुनावी प्रणाली की निष्पक्षता को बनाए रखने में मदद करेगा। लेकिन यदि यह मुद्दा केवल राजनीतिक बहस बनकर रह गया, तो इससे चुनाव आयोग की साख को गहरा झटका लग सकता है।
देश की जनता अब इस पर आयोग की अगली कार्रवाई का इंतजार कर रही है। क्या EPIC घोटाले की सच्चाई सामने आएगी या यह मामला भी अन्य चुनावी विवादों की तरह राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
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