
Delhi CM Rekha Gupta: सीमित शक्तियों के बीच कैसे करेगी नई सरकार काम?
दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय तब जुड़ा जब रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। हालांकि, अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तुलना में, दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्तियां काफी सीमित होती हैं, क्योंकि यह एक पूर्ण राज्य नहीं, बल्कि एक केंद्र शासित प्रदेश है। ऐसे में रेखा गुप्ता की सरकार को कई प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
दिल्ली में मुख्यमंत्री को मिली सीमित शक्तियां
दिल्ली को 1991 में संशोधित संविधान के तहत एक विशेष केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था, जिसमें विधानसभा और मुख्यमंत्री पद की व्यवस्था की गई। हालांकि, यहां की सरकार के पास अन्य राज्यों की तरह पूरी तरह स्वतंत्र प्रशासनिक अधिकार नहीं हैं। दिल्ली सरकार के अधिकारों में कई प्रतिबंध लगे हुए हैं, जिससे मुख्यमंत्री के निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
किन क्षेत्रों में मुख्यमंत्री का अधिकार सीमित है?
1. पुलिस और कानून-व्यवस्था
दिल्ली पुलिस का नियंत्रण सीधे गृह मंत्रालय के अधीन है, यानी मुख्यमंत्री के पास कानून-व्यवस्था से संबंधित फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी में कोई भी बड़ी आपराधिक घटना होने पर मुख्यमंत्री केवल केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग कर सकती हैं, लेकिन स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकतीं।
2. भूमि और नगर निकाय प्रशासन
दिल्ली में भूमि से संबंधित मामलों पर भी मुख्यमंत्री का सीधा अधिकार नहीं होता। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) केंद्र सरकार के अधीन काम करता है और नगर निगम (MCD) का प्रशासनिक नियंत्रण भी सीधे केंद्र के पास है। ऐसे में मुख्यमंत्री को शहरी विकास या भूमि आवंटन जैसे फैसलों के लिए उपराज्यपाल (LG) और केंद्र सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है।
3. एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB)
पहले दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार विरोधी जांच एजेंसी (ACB) को नियंत्रित करती थी, लेकिन अब इसका प्रशासन भी केंद्र सरकार के अधीन है। इसका मतलब यह है कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार से संबंधित किसी बड़े मामले की स्वतंत्र जांच के आदेश नहीं दे सकतीं।
4. ब्यूरोक्रेसी पर नियंत्रण की कमी
दिल्ली में आईएएस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर का अधिकार मुख्यमंत्री के पास नहीं होता। इसके लिए उपराज्यपाल (LG) की मंजूरी जरूरी होती है। इससे सरकारी योजनाओं और फैसलों के क्रियान्वयन में देरी हो सकती है।
दिल्ली बनाम अन्य राज्यों की स्थिति
भारत के अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री को विधानसभा, पुलिस, नगर निकाय, और प्रशासनिक सेवाओं पर पूरा नियंत्रण होता है। वे स्वतंत्र रूप से नीतियां बना सकते हैं और उन्हें लागू कर सकते हैं। लेकिन दिल्ली में मुख्यमंत्री को हर बड़े फैसले के लिए उपराज्यपाल और केंद्र सरकार की सहमति लेनी पड़ती है।
रेखा गुप्ता के लिए बड़ी चुनौती
नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को इन प्रशासनिक सीमाओं के भीतर ही सरकार चलानी होगी। हालांकि, अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग फिर से जोर पकड़ती है, तो यह बहस राजनीतिक रूप से और अधिक रोचक हो सकती है।
अब यह देखना होगा कि रेखा गुप्ता अपनी सीमित शक्तियों के बावजूद किस तरह से प्रभावी सरकार चला पाती हैं और केंद्र सरकार के साथ किस प्रकार समन्वय स्थापित करती हैं।
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