
होली से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक विधायक के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। विधायक ने मुस्लिम समाज के लोगों से अपील की कि वे रंग-गुलाल और होली से जुड़े अन्य सामानों की बिक्री न करें। उनके इस बयान के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है।
BJP विधायक का बयान और विवाद
BJP विधायक ने कहा कि होली हिंदू धर्म का पर्व है, इसलिए मुस्लिम व्यापारियों को इससे जुड़े व्यवसाय में शामिल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे त्योहारों का व्यवसाय भी हिंदू समाज के व्यापारियों को ही करना चाहिए। मुस्लिम समाज को रंग-गुलाल और पिचकारी बेचने से बचना चाहिए, ताकि हमारी सांस्कृतिक परंपरा सुरक्षित रह सके |
विधायक के इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में आक्रोश फैल गया। कई लोगों ने इसे भड़काऊ और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला करार दिया।
विपक्ष का कड़ा हमला
विपक्षी दलों ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और अन्य दलों ने BJP विधायक के बयान की निंदा करते हुए इसे सांप्रदायिक राजनीति का उदाहरण बताया।
RJD प्रवक्ता ने कहा, “त्योहार सभी धर्मों के लोगों के लिए होते हैं। BJP नेता अब यह तय करने लगे हैं कि कौन क्या बेचेगा और कौन क्या खरीदेगा? यह नफरत फैलाने की राजनीति है।
कांग्रेस नेता ने कहा, “व्यापार और धार्मिक स्वतंत्रता संविधान द्वारा दी गई है। इस तरह के बयान समाज को बांटने के लिए दिए जाते हैं। सरकार को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए |
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मुस्लिम व्यापारियों में नाराजगी
इस बयान से मुस्लिम व्यापारियों में भी गहरी नाराजगी देखी जा रही है। कई व्यापार संघों ने विधायक के बयान को गलत ठहराया और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है।
एक मुस्लिम व्यापारी ने कहा, “हम दशकों से होली के सामान बेच रहे हैं। हिंदू ग्राहक भी हमसे खुशी-खुशी खरीदारी करते हैं। त्योहारों पर इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए |
BJP का बचाव और सरकार की चुप्पी
हालांकि BJP के कुछ नेताओं ने इस बयान से दूरी बना ली है और इसे विधायक की व्यक्तिगत राय बताया है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
त्योहारों पर राजनीति कब तक?
त्योहारों को जोड़ने का जरिया माना जाता है, लेकिन BJP विधायक के इस बयान ने समाज में बंटवारे की बहस छेड़ दी है। विपक्ष इसे सांप्रदायिक राजनीति करार दे रहा है, जबकि मुस्लिम व्यापारियों ने इसे भेदभावपूर्ण बताया है। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस बयान पर क्या रुख अपनाती है और क्या इस तरह की बयानबाजी पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
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