
पटना: बिहार में इफ्तार पार्टियों का दौर जोर पकड़ चुका है, और इसके साथ ही सियासी चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है। जहां रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में कई दिग्गज नेता शरीक हुए, वहीं आज आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान अपनी-अपनी इफ्तार पार्टियों का आयोजन कर रहे हैं। इन दावतों में बिहार के बड़े राजनीतिक चेहरों की मौजूदगी से सियासी समीकरणों पर अटकलें तेज हो गई हैं।
लालू यादव की इफ्तार पार्टी: विपक्षी एकता का संकेत?
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से आज आयोजित इफ्तार पार्टी का खास महत्व है। यह आयोजन पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी के आवास पर हो रहा है, जिसमें लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव शामिल होंगे। आरजेडी की इस दावत में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अलावा कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। इसे विपक्षी एकता को मजबूती देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इफ्तार की यह दावत केवल रोज़ेदारों के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक रिश्तों को और मजबूत करने का जरिया भी हो सकती है। हाल ही में आरजेडी और जेडीयू के बीच तल्खी बढ़ी है, ऐसे में लालू यादव की इस पार्टी में कौन-कौन शामिल होता है, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।
चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार भी होंगे शामिल
दूसरी ओर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी आज अपनी इफ्तार पार्टी आयोजित कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शामिल होने की संभावना है। इसके अलावा, बिहार के दोनों उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं के भी इस आयोजन में शामिल होने की उम्मीद है।
चिराग पासवान लंबे समय से बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में हैं। उनकी इफ्तार पार्टी में एनडीए के तमाम नेता शिरकत कर सकते हैं, जिससे गठबंधन की एकता का संदेश भी दिया जा सकता है।
इफ्तार के बहाने बदलते समीकरण?
बिहार में इफ्तार पार्टियां केवल धार्मिक आयोजन भर नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा भी बन गई हैं। जहां आरजेडी की दावत में विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश दिख रही है, वहीं चिराग पासवान की इफ्तार से एनडीए में मजबूती का संकेत दिया जा रहा है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन इफ्तार पार्टियों के बहाने बिहार की सियासत में नए समीकरण बन सकते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन, किसके साथ नजर आता है और आने वाले दिनों में इन बैठकों का क्या असर होता है।
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