
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बिहार के प्रमुख राजनीतिक परिवार के तीन महत्वपूर्ण सदस्य – लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेज प्रताप यादव को समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया है। ED का समन बिहार के राजनीति में हलचल मचाने वाला है, खासकर उस समय जब राज्य में आगामी चुनावों को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। यह समन इन तीनों नेताओं को कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से जुड़ी जांच के तहत भेजा गया है।
ED ने यह समन कुछ महत्वपूर्ण मामलों में पूछताछ के लिए भेजा है, जिनमें विशेष रूप से बिहार सरकार में लालू यादव के नेतृत्व में हुए कथित भ्रष्टाचार और अवैध धन के लेन-देन से संबंधित मामले शामिल हैं। ED का कहना है कि इस मामले में जांच जारी है और इन नेताओं से पूछताछ करना जरूरी है ताकि जांच की दिशा और अधिक स्पष्ट हो सके।
लालू यादव, राबड़ी देवी और तेज प्रताप यादव पर कई आरोप हैं, जिनमें राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में पदों की सिफारिश और उसके बदले में कथित रूप से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, यह भी आरोप है कि इन नेताओं ने अपनी राजनीतिक सत्ता का गलत उपयोग करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की। ED की जांच में यह भी सामने आया है कि इन नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई संपत्तियां और संपत्तियों का संचालन किया है, जो संभवतः मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हैं।
लालू यादव और उनके परिवार के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उन्हें पहले भी भ्रष्टाचार के मामलों में विभिन्न जांच एजेंसियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, यादव परिवार का कहना है कि यह समन राजनीति से प्रेरित है और इसके पीछे कोई ठोस सबूत नहीं हैं। लालू यादव के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह समन बिहार के राजनीतिक माहौल को प्रभावित करने और उन्हें राजनीति से बाहर करने के लिए एक साजिश है।
तेज प्रताप यादव ने भी इस समन को लेकर बयान दिया और कहा कि वह पूरी तरह से तैयार हैं। उनका कहना है कि अगर ED उन्हें तलब कर रही है, तो वह पूरी तरह से सहयोग करेंगे, लेकिन इस समन को राजनीति से प्रेरित मानते हैं। राबड़ी देवी भी इस मामले में अपने पति और बेटे के साथ खड़ी हैं और उनका कहना है कि कोई भी गैरकानूनी काम नहीं किया गया है।
इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले पर चुप्पी साधी है और राज्य सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले के बाद बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ सकती है और आने वाले समय में यह जांच और भी कई मोड़ों पर जा सकती है।
ED द्वारा जारी समन के बाद से राजनीतिक विश्लेषक इस पर विचार कर रहे हैं कि यह समन बिहार में सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच शक्ति संघर्ष को तेज कर सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में यह मामला राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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