
बिहार की राजनीति में चुनावी बिगुल बजने से पहले ही हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने संगठन की नब्ज टटोलने के लिए एक अहम बैठक बुलाई, लेकिन इस बैठक में कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी नाराजगी को और बढ़ा दिया। जब तेजस्वी ने पदाधिकारियों से उनके अब तक के कामों का लेखा-जोखा मांगा, तो कई नेता पांच ठोस काम भी नहीं गिना सके। इससे नाराज होकर तेजस्वी ने न केवल फटकार लगाई, बल्कि संगठन में सख्त अनुशासन लागू करने का संकेत भी दिया।
संगठन की मजबूती पर तेजस्वी का जोर
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक वारिस के तौर पर तेजस्वी यादव अपनी पार्टी को अधिक संगठित और मजबूत बनाने में जुटे हैं। आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने हाल ही में पार्टी के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक का मकसद था यह जानना कि पार्टी के नेता और पदाधिकारी जमीनी स्तर पर कितने सक्रिय हैं और उन्होंने अब तक क्या-क्या किया है।
बैठक के दौरान जब तेजस्वी ने पदाधिकारियों से पूछा कि वे अपने क्षेत्र में अब तक क्या पांच बड़े कार्य कर चुके हैं, तो कई नेता इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। कुछ पदाधिकारी हकलाने लगे तो कुछ चुप ही रह गए। इससे तेजस्वी यादव की नाराजगी और बढ़ गई और उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए हर पदाधिकारी को सक्रिय रहना होगा, वरना नतीजे अच्छे नहीं होंगे।
तेजस्वी की सख्त हिदायत: चुनाव से पहले संगठन को करें मजबूत
तेजस्वी यादव ने बैठक में साफ कहा कि पार्टी के पदाधिकारियों को केवल नाम के लिए पद नहीं दिया गया है, बल्कि जनता के बीच जाकर संगठन को मजबूत करने और पार्टी की नीतियों को उन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी दी गई है। उन्होंने कहा कि चुनावी माहौल बन चुका है और इस समय संगठन की निष्क्रियता पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है।
उन्होंने नेताओं को निर्देश दिया कि वे तुरंत अपने क्षेत्रों में सक्रिय हों, बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करें और जनता के मुद्दों को लेकर लगातार उनसे संवाद करें। तेजस्वी ने यह भी चेतावनी दी कि जो पदाधिकारी अपने काम को गंभीरता से नहीं लेंगे, उनकी जगह सक्रिय और मेहनती लोगों को मौका दिया जाएगा।
राजद की रणनीति और आगामी चुनाव
बिहार में अगले चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। राष्ट्रीय जनता दल भी इस बार अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। पार्टी का फोकस न केवल जातिगत समीकरणों पर है, बल्कि संगठन को मजबूत करने पर भी दिया जा रहा है।
राजद की रणनीति में युवाओं को जोड़ना, रोजगार, महंगाई और किसानों की समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाना शामिल है। तेजस्वी यादव खुद राज्य भर में दौरा कर रहे हैं और जमीनी स्तर पर पार्टी की स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
तेजस्वी की कार्यशैली और उनका संदेश
तेजस्वी यादव की कार्यशैली से यह साफ झलकता है कि वे केवल भाषणों और नारों तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस काम करने पर जोर दे रहे हैं। उनका यह कड़ा रुख इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में राजद में संगठनात्मक बदलाव भी हो सकते हैं।
बैठक के अंत में तेजस्वी यादव ने सभी पदाधिकारियों को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि वे केवल पद का आनंद न लें, बल्कि मेहनत करें, जनता के बीच जाएं और चुनावी रणनीति को मजबूत करें। अब देखना होगा कि तेजस्वी की इस फटकार के बाद राजद के पदाधिकारी कितनी तेजी से सक्रिय होते हैं और पार्टी को चुनावी मैदान में मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाते हैं
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