
पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा (PT) को रद्द करने की मांग पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बिहार सरकार और BPSC से इस मामले में जवाब मांगा है और जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। इस फैसले के बाद अभ्यर्थियों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है, क्योंकि परीक्षा को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा था।
क्या है पूरा मामला?
BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा हाल ही में आयोजित की गई थी, लेकिन परीक्षा के तुरंत बाद कई अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में अनियमितताएँ थीं, पेपर लीक की आशंका जताई जा रही है, और परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी। इन शिकायतों को लेकर कई याचिकाएँ हाईकोर्ट में दायर की गई थीं, जिनमें परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि परीक्षा में कई स्तर पर गड़बड़ियाँ देखी गईं, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे। इसके अलावा, कुछ अभ्यर्थियों ने यह भी दावा किया कि परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं थे, जिससे पेपर लीक जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ गई। इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार और BPSC को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट की सख्ती और सरकार का पक्ष
पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सरकार को जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि परीक्षा प्रक्रिया को लेकर उठ रहे सवालों का समाधान सरकार और आयोग के पास क्या है और क्या परीक्षा को रद्द किया जाना चाहिए।
वहीं, बिहार सरकार और BPSC ने इस मामले में अब तक आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, आयोग के कुछ अधिकारियों का कहना है कि परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ कराई गई थी और कुछ असंतुष्ट उम्मीदवार बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं। लेकिन कोर्ट में दायर याचिकाओं की संख्या और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
छात्रों की माँग और विरोध प्रदर्शन
परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर कई छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि परीक्षा में गड़बड़ी हुई है, तो इसे रद्द कर दोबारा आयोजित किया जाना चाहिए। कुछ संगठनों ने इसे युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ बताते हुए निष्पक्ष जांच की भी मांग की है।
पटना, गया, मुजफ्फरपुर और अन्य शहरों में भी इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यदि सरकार और BPSC इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं करते हैं, तो वे आगे भी आंदोलन जारी रखेंगे।
आगे क्या होगा?
पटना हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब बिहार सरकार और BPSC को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। यदि कोर्ट को जवाब संतोषजनक नहीं लगता, तो परीक्षा को रद्द करने या दोबारा कराने का आदेश दिया जा सकता है। हालांकि, यदि सरकार ठोस सबूतों के साथ परीक्षा प्रक्रिया को सही ठहराती है, तो परीक्षा जारी रहेगी और परिणाम घोषित किए जाएंगे।
इस मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की संभावना है, और तब यह साफ होगा कि परीक्षा का भविष्य क्या होगा। फिलहाल, अभ्यर्थी और छात्र संगठनों की नजरें कोर्ट के फैसले और सरकार के जवाब पर टिकी हुई हैं।
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