माघी पूर्णिमा पर आस्था का सैलाब, गंडक और बूढ़ी गंडक के घाटों पर गूंजे धार्मिक जयकारे
मुजफ्फरपुर जिले में माघी पूर्णिमा के पावन अवसर पर गंडक और बूढ़ी गंडक नदी के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और पुण्य लाभ अर्जित किया। पूरे इलाके में भक्तिमय माहौल देखने को मिला। घाटों पर ‘हर हर गंगे’ और ‘जय गंगा मइया’ के गगनभेदी जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।

धार्मिक मान्यताओं में माघी पूर्णिमा का महत्व
बाबा गरीबनाथ मंदिर के महंत अभिषेक पाठक ने बताया कि माघी पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। यह दिन विशेष रूप से गंगा स्नान, दान-पुण्य और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए पवित्र माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेषकर तप, दान और यज्ञ के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि माघी पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए उमड़ पड़ते हैं।
भगवान विष्णु का गंगाजल में वास
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं और इस अवसर पर गंगा स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। यह भी कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब
मुजफ्फरपुर के गंडक और बूढ़ी गंडक नदी के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे सभी श्रद्धा और भक्ति भाव से पवित्र डुबकी लगाकर सूर्य को अर्घ्य देते नजर आए।
इस दौरान घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। प्रशासन की ओर से पुलिस बल तैनात किया गया ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। नगर निगम ने घाटों की साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए थे।
दान-पुण्य और धार्मिक अनुष्ठान
माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के साथ ही दान और धार्मिक अनुष्ठानों का भी विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करते हैं। विभिन्न मंदिरों में हवन, यज्ञ और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। कई श्रद्धालुओं ने कथा-कीर्तन में भाग लेकर धार्मिक प्रवचनों को सुना और भक्ति भाव से अपने आराध्य की पूजा-अर्चना की।
माघी पूर्णिमा और कुंभ मेले का संबंध
माघी पूर्णिमा का संबंध कुंभ मेले से भी है। हर 12 वर्षों में प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ और अर्धकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु माघी पूर्णिमा के दिन पवित्र स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन कुंभ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
आस्था और भक्ति का संगम
माघी पूर्णिमा का पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान का दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मिक उन्नति का भी दिन है। इस दिन गंगा स्नान के दौरान श्रद्धालु अपने कष्टों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं।
मुजफ्फरपुर में माघी पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। घाटों पर श्रद्धालुओं का उत्साह और उनकी आस्था इस बात का प्रमाण थी कि यह पर्व सदियों से चली आ रही धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं को जीवंत बनाए रखता है।
निष्कर्ष
माघी पूर्णिमा हिंदू धर्म में सर्वोच्च आध्यात्मिक तिथियों में से एक है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और धार्मिक अनुष्ठान करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। मुजफ्फरपुर के गंडक और बूढ़ी गंडक नदी के घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ इस पर्व की महत्ता को दर्शाती है।
“हर हर गंगे! जय गंगा मैया!” के गगनभेदी जयकारों के साथ माघी पूर्णिमा का यह पर्व एक बार फिर आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम बनकर सामने आया। 🚩✨
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