
पटना:पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में अपनी बेबाक बयानों के जरिए राजनीतिक परिदृश्य में फिर से हलचल मचा दी है। एक ओर जहाँ उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बचाव किया, वहीं दूसरी ओर लालू-तेजस्वी पर कड़ा निशाना साधा। यादव ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया कि CM नीतीश कुमार की अस्वस्थता के बाद सरकारी तंत्र में प्रवेश करने वाले लोगों ने निजी फायदों के लिए अवसर का भरपूर फायदा उठाया है।
यादव ने कहा, “जिसे जब मौका मिला, सबने फायदा उठाया है।” उनका कहना है कि जब मुख्यमंत्री की तबीयत बिगड़ी, तो सभी ने बैकडोर से घुसकर अपना हित साधा। राजनीति में परिवारवाद और निजी संबंधों की चर्चा करते हुए उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि जिन लोगों ने हाल ही में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कई सवाल उठाए हैं, वे खुद भी ऐसे रिश्तों में उलझे हुए हैं। यादव ने उन अधिकारियों की ओर इशारा किया जिनका नाम उन्होंने पिछले वर्ष प्रत्यय अमृत और आनंद किशोर के साथ जुड़ा देखा था, और प्रश्न उठाया कि ऐसे में अन्य आईएएस अधिकारियों का नाम क्यों नहीं लिया जाता।
राजद द्वारा बिहार में आयोगों के गठन के दौरान दामाद समेत कई रिश्तेदारों को पद देने के मामले में भी वे सरकार पर कटाक्ष करते रहे। उनके अनुसार, ये सभी अधिकारी सरकारी पदों पर नियुक्त होकर अपने निजी फायदों के लिए काम कर रहे हैं। यादव के मुताबिक, राजनीतिक दल अपने कर्मी और समर्थकों से प्रतिशोध लेने के लिए राज्यपाल के पास जाकर सीधे हस्ताक्षर करवा लेते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे माहौल में जब मुख्यमंत्री की तबीयत खराब हो, तो हर कोई सरकारी प्रक्रिया में छेड़छाड़ करने को तत्पर हो जाता है।
अपने बयान में पप्पू यादव ने राजद सुप्रीमो लालू यादव के जन्मदिन के अवसर पर बाबासाहेब अंबेडकर के अपमान के आरोपों पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा लगाए जा रहे आरोप स्वयं उस अपमान का प्रमाण हैं, क्योंकि “कोई कार्यकर्ता वहां फोटो रख दिया तो आज इन्हें अपमान दिख रहा है।” यादव ने और कहा कि असली अपमान तो उन्हीं लोगों ने किया है जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या करने वाले को अपना भगवान बना लिया। साथ ही उन्होंने राजस्थान में दलित के मंदिर में घुसने के बाद मंदिर को धोने जैसी घटनाओं का भी हवाला देते हुए सरकार की नीतियों और पक्षपात पर कटाक्ष किया।
इस बीच, यादव ने भारतीय समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद का भी बचाव करते हुए कहा कि इतिहास में उनसे जुड़ी घटनाओं को लेकर जिन्होंने उनका घर जला दिया, वे अब अंबेडकर के अपमान की बातें क्यों कर रहे हैं। उनका तर्क था कि राजनीति में सत्ताधारी दल अपने ही कर्मियों को पसंद करते हैं और जब बात आती है परिवारवाद की, तो स्वयं उनका व्यवहार इसके विपरीत होता है।
यादव ने मंगनी लाल मंडल की बात भी उठाई, जिन्हें राजद प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है, और इनके पदनाम पर कटाक्ष करते हुए कहा, “यही तो बात है कि मलाई खाएं खुद और दूसरे खाएं दाल भात।” उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर दल अपने ही अति पिछड़ा वर्ग को इतना सम्मान देते हैं, तो क्यों उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता। यादव ने कटाक्ष भरी स्वर में कहा कि यदि मंगनी लाल मंडल को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया जाए, तो वे भी इच्छुक हैं कि मंगनी लाल मंडल CM बने।
राजनीतिक चर्चा के एक अन्य मोड़ पर यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वे खुद कांग्रेस के प्रवक्ता नहीं हैं, बल्कि एक साधारण कार्यकर्ता हैं, परंतु उनका मानना है कि बिहार में कांग्रेस की ताकत कम से कम 100 सीटों तक होनी चाहिए। यादव ने इस मांग को एक सशक्त राजनीतिक संदेश के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि यदि कांग्रेस को उचित सीटें नहीं मिलतीं, तो भविष्य में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
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